Power of Now: ख़ुशी का राज वर्तमान में रहना, जानें क्यों ??
HAPPY LIFE
4/22/2023
क्यों हमें वर्तमान में रहना चाहिए ???
वर्तमान क्षण में रहने या कहे की जीने की कला, अद्भुत भारतीय सनातन संस्कृति की देन हैं I ऋषि-मुनियों को साधना और तप के बल से यूनिवर्स की प्रेम की शक्ति (ईश्वर) के साथ एकाकार करने की दिव्य प्रतिभा प्राप्त हुई I
ऋषि को खोजी, वैज्ञानिक भी कह सकते हैं, ऋषि शब्द का अर्थ है व्यापक आंतरिक एवं बाह्य अनुभव, पूर्ण ज्ञानी, जिसे हर काल का पूर्ण ज्ञान हो,पूर्ण विवेकवान,समझदार, बुद्धिमान भी ऋषि शब्द के पर्यायवाची हैं I आधुनिक वैज्ञानिक भी सूक्ष्मता देखते है पर उनका ज्ञान भौतिक
सूक्ष्मता तक ही जाता है पर ऋषि-गण प्रदार्थ की सूक्ष्मता के साथ, प्रदार्थ के ऊर्जा स्वरुप, प्रदार्थ के पंच-तत्वों का संघटन, और उनके अस्तित्व के मूल, प्रेम की शक्ति (ईश्वर) तक से जुड़ जाते हैं I
प्रेम की शक्ति (ईश्वर) से जुड़ने से दिव्य ज्ञान उपलब्ध होता है जिस ज्ञान को हर जीव और हर जन तक सरल भाषा में पहुंचे यही ऋषियों का अंतिम लक्ष्य होता हैं I
प्रेम की शक्ति (ईश्वर) का अस्तित्व सिर्फ वर्तमान काल में होता हैं******बाकि भूत और भविष्य सिर्फ मन की कल्पना भर है, इसलिए मन अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए भूत और भविष्य में हमें फॅसाये रखता हैं, इससे ये सिद्ध होता हैं की मन भी मात्र कल्पना हैं I
क्यों हमें वर्तमान में रहना चाहिए ??? इस प्रश्न का उत्तर अब आसानी से समझ आएगा--------
हम सब मूल रूप से तीन शरीर से जुड़े है
भौतिक शरीर , सूक्ष्म शरीर और अति सूक्ष्म शरीर
हम प्रेम की शक्ति (ईश्वर) से हमेशा अपने अति सूक्ष्म शरीर(आत्मा) से जुड़े होते है इसलिए कहते है की सबकी आत्मा पवित्र है, सूक्ष्म
शरीर जिसका महत्वपूर्ण हिस्सा मन है ये अधिकांश समय(99 %) अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए हमें भूत काल की घटी घटनाओँ अथवा भविष्य की कल्पना में उलझाये रखता है, इसके कारण हमें प्रेम की शक्ति (ईश्वर) का आभास नहीं हो पता क्योकि मन शरीर( सूक्ष्म शरीर ) वर्तमान में नहीं होता है और प्रेम की शक्ति (ईश्वर) भरपूर वर्तमान में होती हैं I
इसलिए हम जितना वर्तमान , प्रेजेंट में स्वास लेंगे,प्रेम की शक्ति (ईश्वर) से हम दिनों दिन ज्यादा से ज्यादा जुड़ते जायेगे और हमें हमारे
दिव्य स्वरुप का परिचय होगा जिससे हम सुख और शांति के दिव्य स्पंदनो को हमेशा महसूस करेंगे I